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सिंघिया:मदरसे के नाम से ट्रस्ट बने या न बने ट्रस्ट के नाम पर चंदा का धंधा शुरू

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सिंघिया/समस्तीपुर:आलम की खबर का असर यह हुआ है कि एक ही पते पर तीन नाम से चला रहे गैर मानता प्राप्त मदरसे के संचालक सालेपुर निवासी मुफ्ती सईद ने ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।ये वे मदरसे हैं जिन्हें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है और जो शिक्षा के मानकों को पूरा नहीं करते हैं। एक फारसी का कहावत है देर आयद दुरुस्त आयद वर्षों से इलाके के लोगों को मदरसा एवं चंदा के नाम पर मदरसा संचालक गुमराह करते हुए आ रहे हैं। मदरसे का ट्रस्ट बन जाने से इस चीजों पर रोक लगेगी।बताते चलें कि,सिंघिया थाना क्षेत्र सालेपुर मस्जिद में चल रहे मदरसा जामिया दारुल हुदा सालेपुर बलहा सिंघिया, समस्तीपुर इसी पते पर मदरसे का दो और नाम जुड़ा हुआ है।जामिया दारुल हुदा लिल बनीन वल बनात सालेपुर बलहा सिंघिया समस्तीपुर,सालेपुर बलहा के पत्ते पर ही सिवैया मैं भी संचालक के द्वारा मदरसा जामिया दारुल हूदा लिल बनात संचालित किया जा रहा है।मदरसे के नाम पर मदरसा संचालक के द्वारा इलाके से काफी चंदा किया जाता रहा है। इस चंदे के पैसे का कैसे और कहां खर्च किया जा रहा है इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है।संचालक मुफ्ती सईद के द्वारा ट्रस्ट की प्रक्रिया शुरू करना इलाके के लोगों के साथ-साथ मदरसे के बच्चे बच्चियों एवं शिक्षकों के लिए अच्छी बात है।लेकिन एक बार फिर मदरसा संचालक के द्वारा इलाके के सीधे-साधे भोले भाले ऑलमाये कराम व इलाके के चंद भोले भाले मुसलमान को अपने जाल में फसाने में कामयाब हुए। मदरसा संचालक के द्वारा पर्दे के पीछे से तथाकथित मदरसा के तथाकथित उस्ताद के द्वारा मदरसा को लेकर इमोशनल बातें लेटर पैड पर लिखकर मदरसे के ट्रस्ट के सिलसिले में 17 अगस्त को सिवैया में किराए के मकान पर चल रहे मदरसे पर एक मीटिंग बुलाई थी। जिसमें इलाके के लोगों को भारी तादाद में मीटिंग में आने की दावत दी थी। लेकिन इलाके के जो मुसलमान एवं जिम्मेदार लोग जो मदरसा संचालक मुफ्ती सईद के हकीकत को समझ चुके हैं। वे लोग इस मीटिंग में नहीं आए कुछ नए-नए लोग इस मीटिंग में हिस्सा लिया उसी में से कुछ लोगों को साथ में रखकर मदरसे का ट्रस्ट का रूप रेखा तैयार किया गया। इस बात को लेकर इलाके के लोगों का कहना है कि, एक बार फिर मदरसा संचालक मुफ्ती सईद के द्वारा ट्रस्ट के नाम पर चंदा का धंधा करने का रास्ता साफ कर लिया गया एक बार फिर इन्होंने इलाके के लोगों को गुमराह करने में कामयाब रहे। इलाके के दर्जनों लोगों का कहना है कि,मदरसा के नाम से ट्रस्ट बने या ना बने लेकिन ट्रस्ट के नाम पर चंदा का धंधा जरूर चालू हो गया।गौर तलब है कि, एक ट्रस्ट एक ही मदरसा के नाम से बन सकता है।लेकिन उनके द्वारा एक ही पते पर तीन मदरसे का नाम होना कहीं ना कहीं कुछ दाल में काला नजर आ रहा है। बताते चले कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसो में पढ़ने वाले छात्रों को भविष्य में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश लेने में कठिनाई, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने में कठिनाई, और अन्य शैक्षणिक अवसरों से वंचित रहना। शामिल है।

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Sayeed anwar

मुनाफिक जब तुम अपने घर मे मदरसा चलाता था तो उस वक़्त सुवर खाने मे मजा आता था और गैर कानुनू नही था अब गैर कानुनी हो गया इनशा अल्ला जब अललाह की पकर होगी तो कोई जगह नही मिलेगी। लंगड़ा